भारत सरकार सभी के समावेशी विकास और उत्थान के लिए 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' के एजेंडे के लिए प्रतिबद्ध है। स्थायी विकास और समावेशी विकास पर ध्यान देने के साथ, जनजातीय कार्य मंत्रालय जनजातीय आबादी को लाभ पहुंचाने वाली नीतियों और कार्यक्रमों को डिजाइन करने के माध्यम से जनजातीय समुदायों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए समर्पित है। जनजातीय समुदाय अपने अधिकारों और हकों का उपयोग करने में कितना सक्षम हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि पंचायती राज संस्थान (पीआरआई) कितने प्रभावी ढंग से कार्य करते हैं।
स्थानीय सरकार के स्तर पर उनकी निर्णय लेने की क्षमताओं को बढ़ाते हुए जनजातीय पीआरआई प्रतिनिधियों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से मंत्रालय द्वारा क्षमता निर्माण और जागरूकता कार्यक्रम शुरू किया गया है। जनजातीय विकास से संबंधित अन्य मुद्दों में, यह संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों पर भी केंद्रित करता है जो जनजातीय लोगों के अधिकारों और कल्याण की रक्षा और इनको बढ़ावा देते हैं। कार्यक्रम सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों की योजना, क्रियान्वयन और निगरानी में अजजा पीआरआई प्रतिनिधियों की अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित करेगा। विकास प्रक्रिया में इनकी बेहतर भागीदारी से जनजातीय विकास एजेंडे की बेहतर प्राथमिकता सुनिश्चित होगी
पीआरआई प्रतिनिधि, जो स्थानीय सरकार के स्तर पर विकास की पहल में सीधे भाग लेते हैं, का क्षमता निर्माण समुदायों और क्षेत्रों के बीच विकास के अंतराल को बढ़ाने में बहुत मददगार हो सकता हैं। यह विभिन्न विकासात्मक और कल्याणकारी कार्यक्रमों के प्रभावी और बेहतर क्रियान्वयन में मदद करेगा और अपेक्षित परिणामों में काफी सुधार लाएगा।
जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए), संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और एससीएसटीआरआई ओडिशा के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए राष्ट्रीय स्तर की रूपरेखा विकसित करने के लिए साझेदारी की है। क्षमता निर्माण कार्यक्रम के लिए मॉड्यूल भी इस उद्देश्य के लिए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की साझेदारी में विकसित किया गया है। जनजातीय समुदायों के सुगमकर्ता क्षमता निर्माण प्रक्रिया में शामिल होंगे, ताकि दी जाने वाली प्राप्त जानकारी स्थानीय (बोली) में दी जा सके।
क्षमता निर्माण कार्यक्रम को बेहतर कवरेज और तीव्र कार्यान्वयन के लिए एक व्यापक मोड में लागू किया जाएगा। कार्यक्रम मास्टर प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण के साथ शुरू होगा, इसके बाद सुविधाकर्ताओं का प्रशिक्षण होगा। यह पीआरआई प्रतिनिधियों की क्षमता निर्माण के लिए थीम को प्राथमिकता देकर विषयगत तरीके से लागू किया जाएगा, जो समुदाय के लिए आवश्यक हैं। कार्यक्रम को राज्य सरकारों द्वारा संबंधित राज्य जनजातीय अनुसंधान संस्थानों के माध्यम से लागू किया जाएगा।