ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
जनजातीय कार्य मंत्रालय का गठन 1999 में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के द्वि-विभाजन के उपरांत किया गया था और इसका उद्देश्य एक समन्वित और सुनियोजित तरीके से भारतीय समाज के अत्यंत शोषित वर्ग अर्थात् अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के समेकित सामाजिक-आर्थिक विकास पर अधिक ध्यान केन्द्रित करना है। इस मंत्रालय के गठन से पहले जनजातीय मामले अलग-अलग समय में विभिन्न मंत्रालयों द्वारा निपटाए जाते थे।
जनजातीय कार्य मंत्रालय अनुसूचित जनजातियों के विकास कार्यक्रमों की समग्र नीति, आयोजना एवं समन्वयन के लिए एक नोडल मंत्रालय है। इस उद्देश्य हेतु जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार ने (कार्य आबंटन) नियमावली, 1961 तथा इसके पश्चात् संशोधनों के तहत आबंटित विषयों के अंतर्गत आने वाले क्रियाकलाप किए हैं। जनजातीय कार्य मंत्रालय को आबंटित विषय निम्नानुसार हैः-
यह पूरे देश में जनजातीय लोगों तथा जनजातीय जनसंख्या वाले सभी क्षेत्रों को कवर करता है।
टिप्पणः जनजातीय कार्य मंत्रालय अनुसूचित जनजातियों के सर्वांगीण विकास और बेहतरी के लिए अंब्रेला-यूनिट के रूप में कार्य करेगा। तथापि, इन समुदायों के विकास के लिए क्षेत्रीय कार्यक्रमों और स्कीमों के साथ-साथ उनके समन्वय भी संबंधित केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों, राज्य सरकारों तथा/अथवा संघ राज्यक्षेत्र प्रशासनों के कार्यक्षेत्र के दायरे में होगा जहां प्रत्येक मंत्रालय/विभाग अपने-अपने क्षेत्र के संबंध में उत्तरदायी होंगे।
भूमिका
मंत्रालय के कार्यक्रम और योजनाएं अन्य केन्द्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों और आंशिक रूप से स्वैच्छिक संगठनों के प्रयासों को वित्तीय सहायता के माध्यम से समर्थन देने और उनकी संपूर्ति के लिए तथा अनुसूचित जनजातियों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए संस्थानों और कार्यक्रमों में संवेदनशील अंतर को पाटने हेतु निर्दिष्ट हैं। इस प्रकार, अनुसूचित जनजातियों के हितों को बढ़ावा देने की प्राथमिक जिम्मेदारी सभी केन्द्रीय मंत्रालयों की है। यह मंत्रालय विशेष रूप से तैयार की गई योजनाओं के माध्यम से संवेदनशील क्षेत्रों में विभिन्न विकासात्मक हस्तक्षेपों के जरिए उनके प्रयासों की संपूर्ति करता है। इनमें आर्थिक, शैक्षिक और सामाजिक विकास से संबंधित योजनाएं सम्मिलित हैं तथा यह संस्थान निर्माण के माध्यम से जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा प्रशासित की जाती हैं तथा इनका कार्यान्वयन मुख्यतः राज्य सरकारों/संघ शासित क्षेत्र प्रशासनों के माध्यम से किया जाता है।
संगठन
जनजातीय कार्य मंत्रालय, केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री के समग्र निर्देशन में कार्य कर रहा है और राज्य मंत्री द्वारा इनकी सहायता की जाती है। सचिव मंत्रालय के प्रशासनिक मुखिया हैं तथा इनकी सहायता तीन संयुक्त सचिवों, एक उप-महानिदेशक तथा एक आर्थिक सलाहकारों द्वारा की जाती है। वित्तीय सलाहकार, जनजातीय कार्य मंत्रालय के आंतरिक वित्त तथा बजट के मामलों में सहायता करते हैं जबकि मुख्य लेखा नियंत्रक बजट/व्यय नियंत्रण में सहायता कर रहे हैं। मंत्रालय का गठन प्रभागों/शाखाओं तथा अनुभागों/एककों में किया गया है। जनजातीय कार्य मंत्रालय में कार्मिकों की स्वीकृत संख्या 139 है तथा यहां 110 कार्मिक कार्यरत हैं | समूह क के 45 पद, समूह ख (राजपत्रित/अराजपत्रित) के 59 पद, समूह ग के 35 पद हैं जिसमें पूर्ववर्ती के समूह घ के 16 पद शामिल हैं जिन्हें अब छठे केन्द्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार समूह ग के रूप में श्रेणीबद्ध किया गया है |
सतर्कता कार्यकलाप
मुख्य सतर्कता अधिकारी, मंत्रालय के सतर्कता संबंधी सभी मामलों में सचिव को सहायता प्रदान करते हैं तथा मंत्रालय और केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के बीच कड़ी के रूप में कार्य करते हैं | मुख्य सतर्कता अधिकारी मंत्रालय में संयुक्त सचिव (प्रशासन) के रूप में अपनी सामान्य ड्यूटी के अलावा निगरानी संबंधी कार्य भी देखते हैं | एक उप-सचिव मुख्य सतर्कता अधिकारी की उनके कार्यों के निर्वहन में सहायता करते हैं | मंत्रालय प्रतिवर्ष ‘सतर्कता जागरूकता सप्ताह’ मनाता है |
लोक शिकायत निवारण तंत्र
संयुक्त सचिव को मंत्रालय में निदेशक शिकायत के रूप में पदनामित किया गया है | निदेशक शिकायत, अधिकारियों / कार्मिकों के साथ नियमित बैठकें भी आयोजित करते हैं तथा व्यक्तिगत रूप में समस्याओं और शिकायतों को सुनते हैं | लोक शिकायतों की ऑन-लाइन निगरानी (सीपीजीआरएएमएस) भी की जा रही है | डीएआरपीजी तथा राष्ट्रपति सचिवालय आदि के माध्यम से ऑन-लाइन लोक शिकायतें प्राप्त की जाती हैं तथा उन पर ध्यान भी दिया जा रहा है / निगरानी की जा रही है |
संसदीय समिति तथा मंत्रालय
सामाजिक न्याय और अधिकारिता संबंधी स्थायी समिति मंत्रालय की अनुदान मांगों की जांच के संबंध में हर साल मंत्रालय के प्रतिनिधियों से साक्ष्य लेती है। इसके अलावा, इस मंत्रालय से जुड़ी एक और स्थायी समिति अर्थात अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कल्याण संबंधी स्थायी समिति है। जनजातीय कार्य मंत्री की अध्यक्षता में सलाहकार समिति की बैठकें विभिन्न विषयों पर तिमाही में एक बार आयोजित की जाती हैं। शिकायत निदेशक का विवरण जैसे कमरा नंबर, टेलीफोन नंबर इत्यादि व्यापक रूप से परिचालित किया गया है।
हिंदी का प्रगामी प्रयोग
हिंदी केन्द्र की राजभाषा होने के कारण मंत्रालय द्वारा सरकारी काम में इसके सक्रिय रूप से प्रयोग को प्रोत्साहित किया जाता है | हिंदी अनुभाग अनुवाद संबंधी कार्य करता है तथा इसके साथ-साथ राजभाषा नीति तथा राजभाषा अधिनियम, 1963 का कार्य निपटाता है | यह मंत्रालय के अंतर्गत संगठनों में सरकारी कार्य में हिंदी के प्रगामी प्रयोग की भी निगरानी करता है | मंत्रालय के अधिकतर अधिकारी तथा कार्मिक हिंदी मे प्रवीणता प्राप्त हैं अथवा उन्हें हिंदी का कार्यसाधक ज्ञान है | विभिन्न कार्यालयों / क्षेत्रों आदि के साथ हिंदी में पत्राचार के लिए राजभाषा विभाग द्वारा वार्षिक कार्यक्रम में निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास किये जाते हैं | मंत्रालय, राजभाषा अधिनियम, 1963 की धारा 3(3) का अनुपालन करता है और अत: इस प्रकार हिंदी में प्राप्त सभी पत्रों के उत्तर केवल हिंदी में दिये जाते हैं | रिपोर्टाधीन अवधि के दौरान ‘क’ तथा ‘ख’ क्षेत्रों को अधिकांश मूल पत्र हिंदी में भेजे गए | सभी प्रशासनिक तथा अन्य रिपोर्टें द्विभाषीय रूप में बनाई जाती हैं | सभी रबड़ की मोहरें तथा मुद्रित लेखन सामग्री भी हिंदी तथा अंग्रेजी में बनाई जाती है | हिंदी में सरकारी कार्य करते समय मंत्रालय के अधिकारियों / कार्मिकों की हिचक को दूर करने के लिए वर्ष के दौरान हिंदी कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं | सरकारी काम में हिन्दी के प्रयोग की समीक्षा के लिए निरीक्षण भी किये जाते हैं। सरकारी काम में हिन्दी के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के लिए हिन्दी सलाहकार समिति का पुनर्गठन किया गया है। प्रतिवर्ष, सितंबर माह के दौरान मंत्रालय में हिंदी पखवाड़ा आयोजित किया जाता है | इस पखवाड़े के दौरान हिंदी टिप्पण और प्रारूप लेखन, हिंदी निबंध लेखन, टंकण तथा श्रुत लेख आदि जैसे कार्यकलाप और प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं | मंत्रालय के अधिकारी तथा अन्य कार्मिक इन प्रतियोगिताओं में बड़े उत्साह से भाग लेते हैं |
विजन/ मिशन
जनजातीय कार्य मंत्रालय अनुसूचित जनजातियों के विकास कार्यक्रमों की समग्र नीति, आयोजना एवं समन्वयन के लिए एक नोडल मंत्रालय है। इस उद्देश्य हेतु, जनजातीय कार्य मंत्रालय ने ‘ भारत सरकार (कार्य आबंटन) नियमावली, 1961’ के अंतर्गत आबंटित विषयों के अंतर्गत आने वाले क्रियाकलाप किए हैं जो निम्नानुसार हैं:
1. अनुसूचित जनजातियों के संबंध में सामाजिक सुरक्षा और सामाजिक बीमा।
2. जनजातीय कल्याणः जनजातीय कल्याण आयोजना, परियोजना तैयार करना, अनुसंधान, मूल्यांकन, सांख्यिकी और प्रशिक्षण;
3. जनजातीय कल्याण से संबद्ध स्वयंसेवी प्रयासों का संवर्धन एवं विकास;
4. अनुसूचित जनजातियों सहित ऐसी जनजातियों से संबंधित विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति सहित;
5. अनुसूचित जनजातियों का विकास
क. वन भूमियों पर वन निवासी अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों से संबंधित विधान सहित सभी मामले।
6 (क) अनुसूचित क्षेत्र;
(ख) राज्य के राज्यपालों द्वारा अनुसूचित क्षेत्रों के लिए तैयार किये गये विनियमः
7 (क) आयोग, अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के प्रशासन के संबंध में रिपोर्ट देगा; तथा
(ख) किसी भी राज्य में अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए आवश्यक योजनाओं को तैयार करने तथा उनके कार्यान्वयन के संबंध में दिशा-निर्देशों के मुद्दे।
8. राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग;
9. अनुसूचित जनजातियों से संबद्ध अपराधों के मामलों में आपराधिक न्याय के प्रशासन को छोड़कर नागरिक अधिकारों का संरक्षण अधिनियम, 1955 (1955 का 22) और अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति (अत्याचारों की रोकथाम) अधिनियम, 1989 (1989 का 33) का कार्यान्वयन।
10. नीति आयोग द्वारा डिजाइन किए गए फ्रेमवर्क (ढ़ांचे) और मेकेनिजम (तंत्र) के आधार पर जनजातीय उप-योजना की मॉनीटरिंग।
जनजातीय कार्य मंत्रालय अनुसूचित जनजातियों के विकास के कार्यक्रमों के समन्वय के लिए नोडल मंत्रालय है। हालाँकि, इन समुदायों के विकास के क्षेत्रीय कार्यक्रमों और योजनाओं, नीति, नियोजन, निगरानी, मूल्यांकन आदि के संबंध में भी उनके समन्वय के लिए संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों / विभागों, राज्य सरकारों और संघ राज्यक्षेत्र प्रशासनों की जिम्मेदारी है। प्रत्येक केंद्रीय मंत्रालय / विभाग अपने क्षेत्र के संबंध में नोडल मंत्रालय या विभाग है।
मंत्रालय के कार्यक्रम और स्कीमें अन्य केन्द्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों और आंशिक रूप से स्वैच्छिक संगठनों के प्रयासों को वित्तीय सहायता के माध्यम से आलम्बन प्रदान करने और उनकी संपूर्ति के लिए तथा अनुसूचित जनजातियों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए संस्थानों और कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण अंतरों को पाटने हेतु अभिप्रेत हैं। जबकि क्षेत्रीय योजनाओं के कार्यान्वयन में अनुसूचित जनजातियों के हितों को बढ़ावा देने के लिए प्राथमिक जिम्मेवारी सभी केन्द्र मंत्रालयों की है, वहीं जनजातीय कार्य मंत्रालय विशेष रूप से तैयार योजनाओं के माध्यम से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विभिन्न विकासात्मक उपायों के माध्यम से उनके प्रयासों को अनुपूरक प्रदान करता है। आर्थिक, शैक्षिक और सामाजिक विकास के लिए ये स्कीमें जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा प्रशासित की जाती हैं और इनका कार्यान्वयन मुख्यत: राज्य सरकारों/संघ राज्यक्षेत्र प्रशासनों के माध्यम से और संस्थान निर्माण के माध्यम से किया जाता है।